सुबह से मैं बस यूं ही उदास था
खुद से पूछा क्या है वजह
खुद में ढूंढा क्या है कमी
क्या कुछ छूटा है अपना
या कोई रूठा है अपना
सबकुछ तो ठीक था
फिर ये कैसा एहसास था
सुबह से मैं बस यूं ही उदास था
आज चेहरे पर क्यों छाई रही खामोशी
खुशी की कोई आहट नहीं है
नहीं! मेरी कोई चाहत नहीं है
ऐसे रहने की आदत नहीं है
फिर क्यों कमजोर मेरा विश्वास था
सुबह से मैं बस यूं ही उदास था
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