07 June, 2007

हारने का एहसास

हारने का एहसास ही बहुत तकलीफ देता है...
रोज उठना, तैयार होना, ऑफिस जाना...
और एक-एक दिन गिनना छुट्टी के लिए...
क्योंकि उस दिन दोस्तों से मुलाकात होगी
रुके हुए काम पूरे हो जाएंगे
और छुट्टी के दिन...
देर तक सोते हैं
बिना वजह टीवी देखते हैं
फिर शाम की राह देखते हैं
और फिर किसी मॉल में जाकर
कोई फिल्म देख लेते हैं
एक और छुट्टी निकल गई
ना दोस्तों से मुलाकात हुई
ना कोई काम हुआ...
शहर बड़ा है... दूरी भी बड़ी है
मिलने के लिए सोचना पड़ता है
दोस्त दूर हो रहे हैं
और यही हारने का एहसास रोज होता है
दिल ढूंढता है फुर्सत के रात-दिन

1 comment:

Amit Gupta said...

ye bahoot hai ki ye ehsaas baqi hai