मुंबई क्यों तेरी याद आती है
तेरे पास क्या छूट गया है मेरा
क्यों तेरी याद आती है...
समंदर की लहरों में मुझे
कुछ खास नजर नहीं आया
फिर आज क्यों उन्हें
छूने का दिल करता है
तेरे किनारों पर कभी दिल नहीं लगा
फिर आज क्यों वहीं
शाम बिताने का दिल करता है
वो लहरें मुझे हर रोज बुलाती हैं
मुंबई क्यों तेरी याद आती है...
वो भीड़, वो ट्रेन, वो भागदौड़
सब छोड़ कर तो आया था
अच्छे खाने की सोचकर
दिल्ली चला आया था
फिर क्यों वड़ा पाव के लिए
जीभ ललचाती है
मुंबई क्यों तेरी याद आती है...
जब तक रहा तेरी गोद में
भागने को रहा बेताब
लेकिन कांदिवली की वो गलियां
क्यों आज मन को सुहाती हैं
मुंबई क्यों तेरी याद आती है...
फ्लैट नंबर A-106, अनिता विहार
लोखंडवाला, कांदिवली (ईस्ट)
ऐसा घर शायद कभी न मिले
लेकिन मुझे किसकी तलाश है
उस घर की, उस गली की, उस आबोहवा की
या फिर मुंबई की...
क्योंकि वो घर, गली, आबोहवा
कहीं और नहीं मिलेगी
क्योंकि दुनिया में दूसरी मुंबई
है ही नहीं
इसीलिए मुंबई हर रोज
तेरी याद आती है